पाक ने अंतरराष्ट्रीय संधि तोड़ी: टिड्डियों की ब्रीडिंग और मूवमेंट की जानकारी नहीं दी, टिड्‌डी चेतावनी संगठन ने भी सक्रियता नहीं दिखाई

 आजादी के बाद देश में राजस्थान और गुजरात समेत पंजाब-हरियाणा में हुआ सबसे बड़ा टिड्‌डी हमला दरअसल हमारे ‘नापाक’ पड़ोसी की करतूत थी। अंतरराष्ट्रीय संधि के तहत उसे टिडि्डयों की ब्रीडिंग व उनके मूवमेंट की जानकारी साझा करनी थी, मगर उसने नहीं की। मगर इससे भी ज्यादा खतरनाक स्थिति ये है कि सिर्फ इस टिड्‌डी हमले से देश को बचाने के लिए ही गठित हमारी फौज यानी टिड्‌डी चेतावनी संगठन (लोकस्ट वॉर्निंग ऑर्गनाइजेशन : एलडब्ल्यूओ) ही इस हमले की गंभीरता को समझ नहीं पाया।


इस संगठन का देश में एकमात्र फील्ड ऑफिस जोधपुर में है। इसके स्टेक होल्डर केंद्र व राज्य के कृषि मंत्रालयों के साथ ही रक्षा व गृह मंत्रालय भी हैं। संगठन को अधिकार है कि टिड्‌डी हमले के समय वह इन सभी मंत्रालयों के संसाधनों का इस्तेमाल कर सकता है। मगर संगठन ने न तो टिडि्डयों पर कीटनाशक दवा के छिड़काव के लिए न तो सेना या बीएसएफ से हेलीकॉप्टर मांगे और ना ही किराये पर लिए। सिर्फ जमीन पर टिडि्डयों से निपटने की कोशिश करती रही और बुरी तरह नाकाम रही।


पाकिस्तान जिम्मेदार कैसे  


शंघाई कॉर्पोरेशन एवं सार्क देशों के बीच हुए समझौते के मुताबिक पाकिस्तान को टिडि्डयों के आगमन की सूचना देनी चाहिए। दोनों देशों के बीच जून से नवंबर तक 6 फ्लैग मीटिंग होती है। सितंबर 2019 तक मीिटंग हुई भी। मगर कश्मीर में धारा 370 हटाने के विरोध में पाकिस्तान ने यह मीटिंग बंद कर दी और उसने टिडि्डयों के हमले की सूचनाएं दी ही नहीं।


ये सबसे बड़ा हमला कैसे 


3.85 लाख हेक्टेयर में टिडि्डयां फसलें बर्बाद कर चुकी हैं अब तक। अभी टिडि्डयों का आना जारी है। इससे पहले ऐसा हमला 26 साल पहले 1993 में माना जाता है, जब टिडि्डयों ने 3.10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसलें बर्बाद की थी।


क्या है टिड्‌डी चेतावनी संगठन
एलडब्यूओ (टिड्‌डी चेतावनी संगठन) का गठन आजादी से पहले हुआ, जिसका फील्ड ऑफिस बंटवारे के बाद लाहौर से जोधपुर आ गया। संगठन का मकसद 2 लाख वर्ग किमी में फैले शेड्यूल्ड डेजर्ट एरिया को टिडि्डयों से बचाना है। इस संगठन में 250 का स्टाफ स्वीकृत है। इसमें अभी 90 पद खाली हैं। उपलब्ध स्टाफ में 30 लोग दफ्तर में डाटा आदान-प्रदान व कोऑर्डिनेशन में लगे हैं, जबकि बाकी फील्ड में तैनात हैं।


क्या कर सकता है संगठन



  •  टिडि्डयों का भारत में प्रवेश रोकने के लिए ये संगठन सीमा भी पार कर सकता है।

  •  यह व्यवस्था रक्षा मंत्रालय करेगा व टीम को हाई-फ्रिक्वेंसी के वायरलेस सेट देगा। 

  •  गृह मंत्रालय बीएसएफ के मार्फत भारत-पाक के बीच नियमित मीटिंग कराएगा।

  •  सिविल एविएशन मंत्रालय का एटीसी एयरक्राफ्ट के लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोल करेगा।


हल्के एयरक्राफ्ट की जरूरत पड़ सकती है


कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 8 मई 2019 को एक चिट्‌ठी राजस्थान, गुजरात, पंजाब व हरियाणा के कृषि निदेशकों को लिखी और बताया कि ईरान व पाकिस्तान में ब्रीडिंग हो रही है जो मई-जून तक रहेगी। टिड्डी दल जून में भारत पहुंच सकता है, संगठन अलर्ट रहे और आपत स्थितियों से निपटने को तैयार हो जाए। मंत्रालय ने दूसरी चिट्‌ठी 20 मई 19 को लिखी और बताया कि 26 साल पहले बड़ा हमला हुआ था तब जमीन और हवाई ऑपरेशन कर कंट्रोल किया था। गंभीर स्थिति को देखते हुए कीटनाशक के छिड़काव के लिए सिंगल इंजन के हल्के एयरक्राफ्ट की जरूरत पड़ सकती है। मगर संगठन ने इसकी व्यवस्था ही नहीं की। 


जमीन पर ही स्प्रे करते रहे, टिड्‌डी आसमान में उड़ गईं


एलडब्ल्यूओ की माने तो 21 मई को रामदेवरा में टिड्‌डी दल पहुंचा। इनकी संख्या इतनी थी कि टीमें कम पड़ गई। वह इसलिए कि इन्हें जमीन पर टिड्‌डी मारने की ट्रेनिंग थी। मौसम में ठंडक के चलते टिड्‌डी पेड़ों पर चढ़ कर बैठ गई। नीचे से स्प्रे करते, टिड्‌डी हवा में उड़ जाती। खेतों में खड़ी फसलों पर छिड़कने के लिए दवा इनके पास थी ही नहीं। राजस्थान के छह जिलों में न तो हैलीकॉप्टर उड़ाए गए और न ही ड्रोन। संगठन के उप निदेशक डॉ. केएल गुर्जर मानते हैं कि किसी प्लेन या ड्रोन की डिमांड नहीं की गई। अब मांगा जा रहा है। स्टाफ बढ़ाने की भी डिमांड की गई है।


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